JAN RAMAYAN YATRA: जन रामायण महोत्सव को लेकर शुरू हुई महायात्रा
- वीरेंद्र सक्सेना
- 7 अक्टू॰ 2022
- 3 मिनट पठन
नवम्बर में अयोध्या में होगा जन रामायण महोत्सव.साहित्यकारों का लगेगा विशाल जमावड़ा.अयोध्या में आहूत श्री रामलला अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव जन रामायण को लेकर गत 3 अक्टूबर, महाष्टमी के दिन बाबा धाम देवघर से जन रामायण महायात्रा शुरू हुई जो गिरिडीह के शिखर जी पार्श्वनाथ से अयोध्या के लिए निकली।

इस यात्रा में जन रामायण और अयोध्या को लेकर जन जागरण अभियान चलाया जा रहा है। यात्रा के विषय में लखनऊ में साहित्योदय की एक बैठक हुई जिसका संचालन दयानंद पाण्डेय ने किया। बैठक में डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, पंकज प्रियम, संजय करुणेश, डॉ शोभा त्रिपाठी, साधना मिश्रा 'लखनवी' और प्रेमलता त्रिपाठी इत्यादि शामिल हुए।
साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय साहित्य कला संस्कृति संगम साहित्योदय के बैनर तले अयोध्या में आगामी 19-20 नवम्बर को श्री राम लला अंतरराष्ट्रीय साहित्योत्सव का आयोजन किया जाएगा। अयोध्या के जानकी महल में आयोजित जन रामायण उत्सव में दुनियाभर के कवि, लेखक, साहित्यकार और कलाकारों का विशाल जमावड़ा लगेगा। इस मौके पर विश्व के सबसे अनूठे साझा महाकाव्य जन रामायण सहित कई पुस्तकों का भव्य विमोचन, कवि सम्मेलन, विचार गोष्ठी, सम्मान समारोह और साहित्यिक पर्यटन होगा।
दो दिवसीय साहित्य समागम में देश के कई लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और कलाकार शामिल होंगे। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को साहित्योदय रत्न सम्मान दिया जाएगा। आयोजन की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र करेंगे। कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित कई गणमान्य व्यक्तियों के पहुँचने की संभावना है।
साहित्योदय के संस्थापक अध्यक्ष कवि पंकज प्रियम ने बताया कि जन रामायण स्वयंमें एक अनूठा साझा कव्यग्रन्थ है जिसमें विश्व के सौ से अधिक रचनाकारों ने मिलकर सहज, सरल और सरस जनभाषा में लिखा है। इसको लेकर गत वर्ष 5-6 दिसम्बर को जन रामायण पर साढ़े 26 घण्टे का ऑनलाइन कवि सम्मेलन कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुका है। उन्होंने बताया कि साहित्योदय पिछले कई वर्षों से साहित्य कला और संस्कृति के प्रचार प्रसार में कार्य कर रहा है। कोरोना काल मे सबसे पहले और सर्वाधिक 2 हजार से अधिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन /काव्यपाठ /सम्मान करवा चुका है। साहित्योदय प्रकाशन के तहत अबतक कई पुस्तकें छप चुकी है।
विश्व का सबसे अनूठा काव्यग्रन्थ -जन रामायण
जन रामायण स्वयं से सबसे अनूठा महाकाव्य है जिसमें सौ से अधिक रचनाकारों ने अलग-अलग प्रसंगो को लिखा है।
अब तक उपलब्ध जितने रामायण हैं वे सब किसी एक रचनाकार की कृति है। महर्षि बाल्मीकि और गोस्वामी तुलसीदास के अलावे तीन सौ से अधिक रचनाकारों ने अलग अलग-अलग भाषाओं में रामायण को लिखा है। जबकि 'जन रामायण' के 108 प्रसंगो को 108 रचनाकारों ने लिखा है । इसके साथ ही 8 अन्य रचनाकारों ने भजन आरती और गीत लिखा है।
अन्य रामायण संस्कृत, अवधी, तेलगु, तमिल, हिंदी, उड़िया, बांग्ला सहित अन्य भाषाओं में भी लिखी गयी है लेकिन उन्हें पढ़ने समझने के लिए भाषा टीका की जरूरत पड़ती है। जन रामायण को सभी रचनाकारों ने बिल्कुल जन भाषा मे लिखा है जो सहज, सरल और सरस है। अलग-अलग प्रांत, देश और भाषा बोली क्षेत्र के रचनाकारों की लेखनी से उस क्षेत्र विशेष की खुशबू महकती है। सबसे खास बात यह कि अलग-अलग रचनाकारों के बावजूद रामायण की कहानी अपनी तारतम्यता से बढ़ती है। कहीं कोई अवरोध नहीं है।
कवि पंकज प्रियम जी ने बताया की "रामायण के प्रति बचपन से विशेष लगाव रहा है। घर में रामायण, महाभारत सहित तमाम ग्रन्थ भरेपड़े थे तो बचपन में उन्हें पढ़ने लगा। बाल्मीकि रामायण संस्कृत में है जिसे समझने हेतु हिंदी भावार्थका सहारा लेना पड़ता है। इसी तरह घर-घर में लोकप्रिय रामचरितमानस की अवधी को समझने केलिए लोगों को हिंदी में भावार्थ पढ़ना पड़ता हैं। हालाँकि रामानंद सागर की रामायण सीरियल नेरामकथा को और अधिक लोकप्रिय बनात दिया। फिर भी सरल हिंदी भाषा काव्यरूप में सम्पूर्ण रामायण की कमी थी। इसलिए सरल भाषा बोली में जन रामायण का सृजन हुआ।"
"जन रामायण लिखने का विचार बहुत पहले से था कि रामायण को बिल्कुल सरस और सहज काव्यरूप में तैयार किया जाय। जन-जन की लेखनी को जन रामायण के रुप में ढालना इतना भी आसान नहीं था। 2020 में जन रामायण की घोषणा के साथ ही पूरी रामायण को पहले 11 खंडों में विभाजित किया फिर प्रत्येक खण्ड से कुल 108 प्रसङ्ग बने। उन प्रसंगो को अलग-अलग रचनाकारोंको आवंटित कर लिखवाया। कई रचनाकारों ने बीच में हाथ खड़े कर दिये। कुछ पुराने छूटे तो कुछ नए रचनाकारों से राम यात्रा पूर्ण कर ने में सहयोग किया।"




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