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क्या भाजपा दक्षिण में कामयाब होगी..

  • वीरेंद्र सक्सेना
  • 28 सित॰ 2022
  • 2 मिनट पठन
सभी राजनीतिक दल इन दिनों 2024 के लोकसभा चुनावों को लेकर व्यस्त हैं. सभी राजनीतिक पार्टियों के शिविरों में 2024 लोकसभा चुनाव की सरगर्मी है.सब अपनी अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं.इधर सबसे अलग भाजपा दक्षिण विजय की तैयारी में व्यस्त है.

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सन 2019 के लोकसभा चुनाव में भले ही भाजपा को भारी बहुमत मिला हो पर दक्षिण में हुई पराजय की टीस अभी तक भाजपा भूल नहीं पाई है. इसीलिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व का फोकस दक्षिण में है. भाजपा तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु में इन दिनों अपने संगठन को खड़ा करने की कवायद कर रही है.


क्यों खास है बीजेपी के लिए दक्षिण ?

बीजेपी के लिए दक्षिण क्यों खास है इसका पता इस बात से ही चल जाता है कि तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों में सन 2019 में 4 सीटें ही भाजपा के खाते में आई थी आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों तथा केरल की बीज लोकसभा सीटों में भाजपा का स्कोर शून्य ही था .

बीजेपी को दक्षिण में कुछ खोने का डर नहीं है उसे 2024 में जो मिला वह उसका फायदा ही होगा, पर दिक्कत यह है कि दक्षिण में भाजपा का संगठन उस तरह मजबूत नहीं है जैसा उत्तर भारत में है, अब भाजपा की रणनीति यह है कि अपना संगठन मजबूत करें .


उसके लिए भाजपा के शीर्ष नेता समय-समय पर दक्षिण भारत यात्रा कर रहे हैं. वहां वे राज्यों में जाने मांने लोगों से ना केवल मुलाकात कर रहे हैं बल्कि वे केंद्र सरकार की योजनाओं से भी उन्हें अवगत करा रहे हैं. दक्षिण में फोकस का कारण यह भी है कि शायद शीर्ष नेतृत्व का डर हो कि उत्तर भारत में सीटें घट सकते हैं.


ऐसे में दक्षिण मदद कर सकता है भाजपा की सारी मेहनत दक्षिण में इसलिए ही है और उसके लिए व ना केवल दक्षिण में अपना संगठन मजबूत करने की कोशिश कर रही है और उसकी नजर दूसरी पार्टी के नेताओं पर भी है बहरहाल बीजेपी दक्षिण में जो मेहनत कर रही है वह कितनी सफल होती है यह चुनावी परिणाम ही बताएंगे अभी तो वहां संगठन खड़ा करना ही चुनौती है|



- वीरेंद्र सक्सेना

(समाचार संपादक अफ्रोएशियाई सन्देश)

 
 
 

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