पत्नी की तुलना अन्य महिलाओं से करना क्रूरता है, हाईकोर्ट ने कहा..
- वीरेंद्र सक्सेना
- 17 अग॰ 2022
- 2 मिनट पठन
पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसका पति उसे लगातार याद दिलाता था कि वह दिखने के मामले में उसकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। इतनाही नहीं वह अन्य महिलाओं की तुलना में उन्हें निराश करती हैं।

केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा कि पति बार-बार पत्नी को ताना मारना और उसकी तुलना अन्य महिलाओं से करना मानसिक क्रूरता का एक रूप है। यह टिप्पणी तब आई जब केरल उच्च न्यायालय की पीठ फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एक अर्जी परसुनवाई कर रही थी।
'बार-बार ताना और तुलना करना ठीक नहीं'
न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति सीएस सुधा की खंडपीठ ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने यह भी कहा कि पति को बार-बार ताना मारना और अन्य महिलाओं से तुलना करना निश्चित रूप से मानसिक क्रूरता है। क्या पत्नी से ऐसी उम्मीद की जा सकती है? कोर्ट ने याचिकाकर्ता पत्नी की याचिका पर सुनवाई की.
'तलाक देने के लिए इतना ही काफी नहीं'
पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसका पति उसे लगातार याद दिलाता था कि वह दिखने के मामले में उसकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है। इतना ही नहीं उसने अपनी पत्नी से यह भी कहा कि वह उसे अन्य महिलाओं की तुलना में निराश करती है। उनके भाई की पत्नियां उनसे ज्यादा खूबसूरत हैं। अदालत ने कहा कि हालांकि यह तलाक के लिए पर्याप्त कारण नहीं था, कानून को इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए।
हाईकोर्ट ने दखल देने से किया इनकार
रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार करते हुए ये टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि जनहित की मांग है कि जहांतक संभव हो वैवाहिक स्थिति को बनाए रखा जाए। जबकि शादी को बचाए रखने की उम्मीद करने के बजाय उसे बर्बाद किया जा रहा है।




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