प्रदूषण घटाने के लिए डीडीए का नया प्लान दिल्ली में नालों व सीवर के पानी से साफ होगी शहर की हवा
- वीरेंद्र सक्सेना
- 22 फ़र॰ 2022
- 2 मिनट पठन
सुनने-पढ़ने में भले ही अजीब लगे, लेकिन राजधानी के नालों और सीवरों का पानी भी शहर की हवा को साफ करने यानी प्रदूषण कम करने में अहम भूमिका निभाएगा. इस पानी को ट्रीट करने के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) अपने पार्कों को हरा-भरा बनाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रहा है। खास बात यह है कि डीडीए का उपयोग न केवल पूरी तरह से सफल साबित हो रहा है, बल्कि पर्यावरण के हित में भी इसकी सराहना की जा रही है।

बता दें कि दिल्ली में 11,258 एकड़ में डीडीए के 787 पार्क हैं। इन पार्कों को रोजाना 343 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। इस पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हर पार्क में बोरवेल लगवाए गए, जिससे भूजल स्तर लगातार गिर रहा था।
वहीं दूसरी ओर नालों व सीवर लाइन का पानी यमुना नदी में भारी मात्रा में गिर रहा है. ऐसे में जहां इन दोनों समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) का रुख भी सख्त रहा है, वहीं डीडीए ने भी इनके समाधान की दिशा में एक अनूठा प्रयोग किया है. इस प्रयोग के तहत सभी पार्कों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का काम शुरू किया गया. ये प्लांट पार्कों के आसपास बहने वाली नालियों या सीवर लाइन पर लगाए जा रहे हैं। यानी पार्कों में सिंचाई संबंधी जरूरतों के लिए बोरवेलों को बंद कर इन संयंत्रों के माध्यम से अपशिष्ट जल का शोधन और उपयोग किया जा रहा है.
इससे भूजल स्तर में गिरावट का ग्राफ सुधर रहा है तो पार्कों की हरियाली यानि वहां के पेड़-पौधे घातक कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर हवा में ऑक्सीजन छोड़ रहे हैं. करीब 30-35 फीसदी पार्कों में ये प्लांट लग चुके हैं और बाकी में इन्हें लगाने का काम चल रहा है. इस काम के लिए डीडीए ने 2021-22 के बजट में 70 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जबकि 2022-23 के बजट में 7.90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
सभी पार्कों में एसटीपी लगाए जा रहे हैं और उन्हें अपग्रेड भी किया जा रहा है। उनकी चारदीवारी, प्रवेश द्वार, ट्रैक और बेंच आदि की मरम्मत की जा रही है। ओपन जिम को अपडेट किया जा रहा है। पौधों, फूलों और घास के मैदानों को भी बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं। बहुत जल्द, इन पार्कों में जाने वालों को और भी सुखद अनुभूति होगी।-अशोक कुमार, निदेशक, उद्यान विभाग, डीडीए




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