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Hindi kavya: वृषभानु सुता यमुना के तट....

  • वीरेंद्र सक्सेना
  • 28 सित॰ 2022
  • 1 मिनट पठन

भारतवर्ष सदैव ही कला व कलाकारों की जन्मभूमि रहा है. संगीत, नृत्य, काव्य न जाने कितनी अन्य कलाओं में निपुण कलाकारों को इस देश ने प्यार और सम्मान दिया है अफ्रोएशियाई संदेश का हुनरबाज सेक्शन उन छुपे हुए कलाकारों को समर्पित है जो अपनी कला को विश्व के साथ साझा करना चाहते हैं |

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ऐसी ही एक हुनरबाज कलाकारा हैं श्रीमती राजेश बाजपेई.

श्रीमती बाजपेई जिला खीरी के गोला गोकरणनाथ की निवासी हैं व पेशे से अध्यापिका हैं. गीत, गजल और सवैया लेखन में विशेष रूचि रखने वाली श्रीमती राजेश बाजपेई जी के निम्नलिखित 5 साझा संग्रह तथा एक एकल ग़ज़ल संग्रह (दीवारों से गुफ्तगू) प्रकाशित हो चुके हैं.


1- स्त्री एक सोच

2- लफ़्ज़ों की गुफ़्तुगू

3- काव्य निहारिका

4- शब्द समिधा

5- शब्दों की पतवार

उनके द्वारा रचित एक सुंदर रचना है वृषभानु सुता:


वृषभानु सुता

निज दर्पण रूप निहार रही, वृषभानु सुता यमुना के तट।

छवि नैन समाहित श्याम पिया, मधुमत्त रसाल भरे दो घट।

मिलनोत्सव में मनुहार करें, दृग आज झुके पिय की चौखट।

द्वय रूप भले दिखते जग को, हृद अंतर एक हुए दो पट।


-श्रीमती राजेश बाजपेई.



( यदि आप भी अपनी कोई काव्य रचना ,गीत एवं नृत्य का ऑडियो या वीडियो हमारे साथ साझा करना चाहते हैं तो हमें इस पते पर लिख भेजिए afroasiaisandesh@gmail.com )

 
 
 

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