कुछ यूं खुद को ढूँढती हुई सी मैं अपने ख्वाबों को उड़ान दें रही हूँ - अभिलाषा विग
- वीरेंद्र सक्सेना
- 28 अक्तू॰ 2022
- 1 मिनट पठन

आज के हमारे हुनरबाज कॉलम की शान बढ़ा रही हैं जयपुर राजस्थान की अभिलाषा विग। अभिलाषा Public Administration से पोस्ट ग्रेजुएट की पढाई कर चुकी हैं और विगत २ वर्षों से इंस्टाग्राम पे अपनी रचनाएँ Writer_Thoughts_11 के नाम से पोस्ट करती हैं. अभिलाषा ने हमारे साथ उनकी एक प्यारी रचना " एक खुद को ढूँढती हुई सी मैं " साझा की है .
" एक खुद को ढूँढती हुई सी मैं "
ना जाने कब मैं एक ख्वाब सी बन गयी खुद, खुद के लिए ही,
जितना खुद को पाना चाहा उतना ही खोती चली गयी हूँ,
कुछ इस दुनिया की बातों ने तो कुछ जिंदगी के किस्सों ने,
ऐसा मोड़ा मुझे की राहों की कश्ती सी बहती चली गयी हूँ,
कुछ यूं खुद को ढूँढती हुई सी मैं अपने ख्वाबों को उड़ान दें रही हूँ,
अपनी मेहनत से खुद को आसमान देने की कोशिश में ना जाने कितनी राह छोड़ रही हूँ "
-अभिलाषा विग
(अपने हुनर को हमारे साथ साझा करने के लिए afroasiaisandesh@gmail.com पर ईमेल करें )
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