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" उत्कृष्ट लेखन ही उद्देश्य हमारा, समाज सेवा है संकल्प हमारा "-श्रीमती साधना मिश्रा 'लखनवी'

  • वीरेंद्र सक्सेना
  • 29 सित॰ 2022
  • 2 मिनट पठन

लखनऊ की जानी मानी रचनाकार साधना मिश्रा 'लखनवी' जी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं,

"परमवीर चक्र सृजन सम्मान " ,"भारत-रत्न सृजक सम्मान" ,"शौर्य कथाकार रत्न" जैसे अन्य पुरुस्कारों से सम्मानित साधना जी का जन्म 25 सितंबर,1958 को हुआ एवं वे अपने विद्यार्थी जीवन से ही लिखती चली आरही हैं.


साहित्य की हर विधा में उनकी बहुत अच्छी पकड़ है, उनकी कहानियां, कविताएं, लेख, संस्मरण विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं.


साधना मिश्रा जी की देशभक्ति से ओतप्रोत एक रचना-




शत कोटि नमन


इस देश के अमर शहीदों को, हम श्रृद्धा सुमन चढ़ाते हैं।

भारत के वीर जवानों को,श्रद्धा से शीश नवाते हैं।।


शत् कोटि नमन उन वीरों को, भारत के अमर जवान हुए।

जो मातृभूमि की सेवा में, वे बलिदानी पहचान हुए।।


सरहद की सभी चुनौती को, वे खुशी-खुशी स्वीकार लिए।

जब संकट की बेला आई, वे हँसते-हँसते प्राण दिए ।।


सौ-सौ दर्दो को सह-सह कर, भारत की आन बचाते हैं।

सीने में गोलियां खा-खा कर, अंतिम दम तक मुस्काते हैं ।


पुलवामा जैसी घटना को, जब वीर सपूतों ने झेला।

पल-पल पलकें भी जगे रहे, रण-भूमि क्षेत्र हँस-हँस खेला।।


वह उरी सर्जिकल स्ट्राइक, सेना जवाब जब देते हैं।

छाती चौड़ी हो जाती है, अमन चैन की सांस लेते हैं।।


सौ-सौ दर्दो को सह-सह कर, भारत माँ की आन बचाते हैं।

ऐसे रणवीर जवानों को, हम श्रध्दा सुमन चढ़ाते हैं ।।


स्वतंत्रता की हीरक जयंती, वर्ष पचहत्तर अब बीत रहा।

आजादी का अमृत महोत्सव, घर-घर में तिरंगा फहर रहा।।


गली-गली में गांव-गांव में, परम उत्साही माहौल था।

नया-नया उत्साह जगा है, देशभक्ति का बड़ा बोल था।।


अमर शहीदों की यादों में, हम सब ज्योति जलाते हैं।।

शत् कोटि नमन हम करते हैं, श्रद्धा से सुमन चढ़ाते हैं ।।


- साधना मिश्रा "लखनवी" लखनऊ (उ.प्र.)



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